घाटों का शहर बनारस

क्या आप जानते है आपकी करीब 5000 वर्ष पुरानी काशी का नाम वाराणसी कैसे पड़ा या इसे बनारस नाम से क्यों जाना जाता है, आइए जानते हैं।

काशी बाबा विश्वनाथ की नगरी को कई नामों से जाना जाता है चाहे इसे घाटों का शहर कह ले या बनारस या पावन नगरी वाराणसी कह लें हर नाम अपने साथ कुछ इतिहास लेके आता है । काशी कुल 84 घाटों के किनारे बसा एक पवित्र शहर है । इन घाटों की गिनती में पहला घाट जिसे हम वरुणा घाट भी कहते है और आखिरी घाट का नाम अस्सी घाट है जहां की खूबसूरत शाम को आपको अपने आगोश में शमा लेती है इन्ही दोनो घाटों के नाम के संगम से बना नाम है वाराणसी (वरुणा + अस्सी)। अस्सी घाट से जुड़ी एक मान्यता है की  दैत्य भाई शुंभ और निशुंभ का वध करके मां दुर्गा ने अपनी तलवार को इसी अस्सी नदी में फेंक दिया था और इसलिए यहा मां गंगा और अस्सी नदी के मिलन होता है ।

कहा जाता है कि अकबर एक बार काशी आए थे दिवाली के समय और इस शहर की दिए से सजे घाटों की जगमगाहट को देख के वो मंत्रमुध हो गए और उन्होने काशी शहर को उसका सबसे लोकप्रिय नाम दिया “ बनारस “ जिसका संस्कृत में मतलब होता है उजाले का शहर (City of lights) । ये पूरा शहर बनारस दशाशमेध घाट से लेके अस्सी घाट तक शाम को मां गंगा की आरती करने के लिए उजाले में डूबा रहता है।

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